karpuri thakur:आखिर कौन है कर्पूरी ठाकुर? शिक्षक से भारत रत्न तक की यात्रा|karpuri thakur bharat ratna award 2023|

karpuri thakur: मोदी सरकार भारत रत्न देने वाली कर्पूरी ठाकुर जिन्हें बिहार की सियासत का भीस्म पितामह भी कहा जाता है कर्पूरी ठाकुर जिनके बारे में कहा जाता है कि दलितों पिछड़ों शोषितों वंचितों के वो मसीहा रहे बिहार में मौजूदा दौर में जितने भी बड़े राजनेता या जो बड़े राजनेता बीते कुछ दशकों में हुए हैं जैसे कि नीतीश कुमार, रामविलास पासवान ,लालू प्रसाद यादव या और भी जीतने बड़े नेता हैं उनको लेकर कहा जाता है कि वो सब कर्पूरी ठाकुर style of politics से निकले हुए है उनसे inspired हुए ऐसे में जब नीतीश कुमार की एक मुलाकात दिल्ली में बड़े नेताओं से होती है और JDU ये मांग करती हैं कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया जाए और फिर देर शाम होते होते ये खबर आती है कि भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार ने कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न देने का ऐलान किया है तो हमें लगा कि कर्पूरी ठाकुर जी के बारे में आपको बताए क्योंकि बिहार की राजनीति बिना कर्पूरी ठाकुर की चर्चा की पूरी नहीं हो सकती |

India Post, Government of India - [1], GODL-India, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=74206650 द्वारा

कर्पूरी ठाकुर की जीवनी|

कर्पूरी ठाकुर (24 जनवरी 1924 – 17 फरवरी 1988) भारत के स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ तथा बिहार राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री और 2 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक भी कहा जाता था। कर्पूरी ठाकुर का जन्म भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान समस्तीपुर के एक गांव पितौंझिया, जिसे अब इस गांव को उनके नाम पर “कर्पूरीग्राम” भी कहा जाता है, उनका जन्म कुर्मी जाति में हुआ था। जननायक जी के पिताजी का नाम श्री गोकुल ठाकुर तथा माता जी का नाम श्रीमती रामदुलारी देवी था। इनके पिता गांव के सीमांत किसान थे तथा अपने पारंपरिक पेशा हल चलाने का काम करते थे।भारत छोड़ो आन्दोलन के समय उन्होंने 26 महीने जेल में बिताए थे। वह 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तथा 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 के दौरान दो बार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर कार्यरत रहे।1952 में अपनी शुरुआती जीत के बाद, अपनी संयमित जीवनशैली और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के प्रति अटूट प्रतिबद्धता से उत्पन्न व्यापक अपील के कारण वे हर अगले चुनाव में लगातार विजयी हुए। कर्पूरी ठाकुर ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों सहित हाशिये पर पड़े समुदायों के अधिकारों की सक्रिय रूप से वकालत की। सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उनकी राजनीतिक विचारधारा का एक प्रमुख पहलू थी।

उनके लिए भारत रत्न पुरस्कार की घोषणा 24 जनवरी को उनकी 100वीं जयंती से पहले की गई है।

माननीय प्रथानमंत्री जी के द्वारा दी गई जानकारी|

विहार की राजनीति में उनका क्या योगदान है ?

कर्पूरी ठाकुर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण का लाभ प्रदान करने में अग्रणी थे क्योंकि उन्होंने 1977 से 1979 तक बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मुंगेरी लाल आयोग की सिफारिशों को लागू किया था।कर्पूरी ठाकुर वो व्यक्ति जिन्हें बिहार की सियासत में सामाजिक न्याय की मशाल जगाने वाले एक महान नेता के तौर पर जाना एक ऐसा नेता जो एक साधारण परिवार में जन्म लेता है और पूरी जिंदगी जिसने कांग्रेस विरोधी राजनीति की और अपना ऐसा राजनैतिक मुकाम हासिल कर लिया कि जिसके जाने के बाद भी आज भी चर्चाएं हो रही है और अब मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न से नवाजा जा रहा है यहाँ तक कि इमर्जेंसी के दौरान तमाम कोशिशों के बावजूद इंदिरा गाँधी उन्हें गिरफ्तार भी नहीं करवा पाई |

पूर्व cm नितेश कुमार ने की प्रतिक्रिया ?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करने के फैसले का स्वागत किया। एक बयान में, सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) ने कहा कि यह घोषणा पार्टी की सदियों पुरानी मांग की पूर्ति है और इससे “समाज के वंचित वर्गों के बीच एक सकारात्मक संदेश जाएगा”। नीतीश कुमार ने कहा, “मैंने हमेशा कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग उठाई है। उनकी 100वीं जयंती की पूर्व संध्या पर की गई यह घोषणा मुझे बहुत खुशी देती है।”

Leave a comment

Discover more from Namastey news

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading